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संत चिरन्जी पारख धर्म सभा(रजि०)


एकमात्र मुलनिवासी व आदिवासी धर्म


संत चिरन्जी पारख धर्म सभा(रजि०) एकमात्र आदिवासी धर्म है, जिसमे सभी जातियाँ समान पूर्वक आमंत्रित है, यही एकमात्र आदिवासी धर्म है जो किसी एक जाती विशेष से न्ही जुड़ा हुआ है ... पारख धर्म .. भूत पूजा, मूर्ति पूजा, झूठे तांत्रिको, अंधविश्वास, नशा खोरी, दहेज पर्था, बाल विवाह जैसी कुरीतीया जिन्होने आदिवासी समाज को खोखला कर दिया है.. . का पुरजोर विरोध करता है और एक निज नाम "स्वयम्" कुदरत से रूबरू करवाता है ...जिस से आज तक आदिवासी समाज वंचित रहा है... तो आए और उस "स्वयम् मालिक" से जुड़े और अपनी आने वाली सभी पीडियों को एक उज्वल भविष्य दें |

परम पूजनीय संत शिरोमणि सतगुरु चिरन्जी पारख जी


"चिरन्जी" क्या जीया जग में जो अपने ही लिए जीया, जीया परमार्थ के लिए जिन्दगी हो तो ऐसी हो ।।


"सतगुरु संत चिरन्जी पारख जी" का पुरा जीवन संघर्ष इसी तथ्य पर आधारित है।

एक पूर्ण मणिधारी शिरोमणि संत सदियों में सिर्फ एक बार इस संसार में जन्म लेता है जिसका उद्देश्य सिर्फ भुले भटके, स्वयम् मालिक से विमुख जीवों पर रहम कर उन्हें स्वयम् मालिक (जो इस संसार का सिरजनहार व पालनहार है) के चरणों में जोड़ना होता है।

संत जी का जन्म 15 फरवरी, 1940 को पिता चंद्र जी और माता जी चंपा के यहाँ, भठिंडा में हुआ।

स्वयम् मालिक की रहम ओर उनका हुक्म सिर्फ उनके द्वारा तैयार किए किसी एक पूर्ण मणिधारी संत को ही प्राप्त होता है।

"सतगुरु संत चिरन्जी पारख जी" को साक्षात स्वयम् मालिक से हुक्म हुआ ओर उन्होंने 12 मई 1989 को "संत चिरन्जी पारख धर्म सभा (रजि0)" की नींव परम धाम पाटन उदयपुरी से रखी।

पुरा जीवन सतगुरु जी ने भुले भटके, स्वयम् मालिक से विमुख जीवों पर रहम कर उन्हें "स्वयम् मालिक" जो इस संसार का सिरजनहार व पालनहार के चरणों में जोड़ने में लगा दिया। दिन रात सत्संगे की गाँव, शहर, कस्बे हर जगह पहुंच कर दुखी जीवों पर दया कर उन्हें एक सच्चा निज स्वयम् मालिक का नाम दिया।

  • बेधर्मी जीवों को धर्म की धारणा करवा उन्हें स्वयम् मालिक ओर धर्म की ताकत से अवगत कराया।
  • हमेशा दान लेने की अपेक्षा रहती थी जिनको उनको दान करना सिखाया।
  • सभ्यता से रहना ओर सदा स्वयम् मालिक का नाम सुमिरन करना सिखाया।
  • हक ओर मेहनत की कमाई को ही श्रेष्ठ बताया।
  • हमारे जीवन का कोई लक्ष्य ही नहीं था व्यर्थ या संसार में पशुओं की भांति जीअ रहे थे हम। धर्म के रूप में नया लक्ष्य दिया है हमे "सतगुरु संत चिरन्जी पारख जी" ने।
  • 33 कोटि, झूठे तीर्थ व्रत, झूठे तांत्रिक, सयाने ओर हर तरह के आडम्बरो से "सतगुरु संत चिरन्जी पारख जी" ने सदियों से फसी हुई इस आदिवासी कोम को सिर्फ एक ही निज नाम के सहारे मुक्त करवा दिया।
  • "सतगुरु संत चिरन्जी पारख जी" ने कर्म को ही श्रेष्ठ बताया ओर शुभ कर्म यानि धर्म हित के कार्य ही करने को सभी पारखीयों को हुक्म दिया।

"सतगुरु संत चिरन्जी पारख जी" की स्वयम् ज्योति 16 जनवरी 2016 दिन शनिवार, सुबह 10:00 बजे अपनी ईच्छा अनुसार स्वयम् ज्योत में समा गई।

परम धाम - पाटन उदयपुरी


परम पूजनीय संत शिरोमणि सतगुरु चिरन्जी पारख जी द्वारा "परम धाम" की संज्ञा से नवाज़ा हुआ पारख धर्म का एकमात्र मुख्यालय बैकुंठ धाम सभी पारखी जनों की आस्था का केंद्र


राष्ट्रीय कार्यकारिणी(जरनल बॉडी)


सतगुरु जी के हुकुम अनुसार कार्य करने में वचनबद्ध


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शमशेर सिंह पारखी

अध्यक्ष (जरनल प्रधान)

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वीर सिंह पारखी

उपाध्यक्ष (जरनल उपप्रधान)

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संजय बोहत पारखी

महा सचिव

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योगेश पारखी

कोषाध्यक्ष